भगवान श्री हरि शंकर
विष्णु सहस्रनाम में विष्णु को शम्भु, शिव, ईशान और रुद्र के नाम से बुलाया गया है, जिससे यह साबित होता है कि शिव और विष्णु एक ही है| वेदों और पुराणों भगवान हरिशंकर को श्रृष्टि का पालनहार कहा गया है. मानव जीवन से जुड़े सुख-दुख का चक्र श्री हरि के हाथों में है| भगवान हरिशंकर ही जीवों की आत्मा सृष्टि के भोगकर्त्ता और शाश्वत है | समस्त चराचर जगत और देवता, पितर एवं राक्षस भगवान हरिशंकर से ही निःसृत है और ऊन्ही के वशीभूत है | पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ, पञ्च कर्मेन्द्रियाँ, मन, बुद्धि, सत्व, तेज, बल आदि सभी भगवान हरिशंकर के ही रूप है | उन्ही के प्रताप से स्वर्ग, सूर्य, चन्द्रमा, नक्षत्र, आकाश, दिशा, ग्रह, पृथ्वी और समुद्र अस्तित्ववान हैं | जो भी जीव विश्वनियन्ता, जगत्कर्ता, पालनकर्त्ता और हर्त्ता भगवान हरिशंकर का गुणगान करते हैं वे दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों एवं संकटों से प्रभावित नहीं होते हैं | भगवान हरिशंकर के भक्तों को क्रोध, ईर्ष्या, लोभ और अशुभ की प्राप्ति नहीं होती है और उसे आत्मसुख, शांति, लक्ष्मी, बुद्धि, स्मृति और कीर्ति की प्राप्ति होती है |